हाडी रानी के बलिदान की पूरी कहानी | Full story of sacrifice of Hadi Rani


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"चुंडावत मांगी सैनाणी, सिर काट दे दियो क्षत्राणी"



आखिर कौन थी हाड़ी रानी 

 हाड़ी रानी बूंदी के हाड़ा राजा की पुत्री थी। जिसने उदयपुर (मेवाड़) में सलूम्बर के सरदार राव रतन सिंह चुंडावत से ब्याह किया था। बाद में वह हाड़ी रानी के नाम से जानी गईं। हाड़ी रानी एक ऐसी नारी थी जिसने अपने पति को  अपना कर्तव्य याद दिलाने के लिए अपना सिर काट दिया था। इस लक्ष्य के साथ कि वह अपनी नई दुल्हन के मोह मे अपने देश अपने कर्तव्य को ना भूल जाये

हाड़ी रानी ने सरदार राव रतन सिंह चुंडावत का विवाह

यह तब की बात है जब मेवाड़ का शासन महाराणा राज सिंह (1652 - 1680 ई।) के हाथों मे था और सुलम्बर के राव रतन सिंह चुंडावत वहां के सामन्त थे। हाल ही मे जिनका विवाह हाड़ी रानी के साथ हुआ था शादी को एक हफ्ता भी नहीं हुआ था कि राव रतन सिंह चुंडावत को युद्ध का फरमान आ गया | उनका मित्र शार्दूल सिंह महाराणा राजसिंह द्वारा भेजा गया एक फरमान लेकर आया जिसमें ओरंगजेब के सहायता के लिए दिल्ली से आ रही अतिरिक्त सेना को रोकने का निर्देश था

पत्र और राव रतन सिंह चुंडावत का युद्ध क्षेत्र में प्रवेश

पत्र को पढ़कर राव रतन सिंह चुंडावत व्याकुल हो गए उनकी और हाड़ी रानी के विवाह को अभी एक हफ्ता भी नहीं हुआ था और बिछड़ने का समय आ गया था किसे पता      था कि युद्ध भूमि मे क्या होने वाला था एक राजपूत राजा युद्ध भूमि मे जाने से पहले अपने प्राणो की परवाह नहीं करता है और समय आने पर बलिदान देने से भी पीछे नहीं हटता है

ओरंगजेब के सहायता के लिए दिल्ली से आ रही अतिरिक्त  सेना तेजी से आगे बढ़ रही थी, इसलिए उन्होंने अपनी सेना को युद्ध के लिए तैयार होने का आदेश दिया। वह इस संदेश के साथ हाड़ी रानी के पास गए और उन्हें पूरी घटना के बारे में बताया इस खबर को सुनकर रानी को बहुत निराशा हुई पर उन्होंने खुद को संभाला और पति की विजय कामना करते हुए उन्हें युद्ध भूमि की ओर रवाना किया

राव रतन सिंह चुंडावत का हाड़ी रानी को पत्र

राव रतन सिंह चुंडावत अपनी सेना के साथ चल दिये। हालांकि, उनके मन में यह विचार बार-बार घूम रहा था कि कहीं रानी उन्हें भूल ना जाये वो मन को स्थिर करने की कोशिश करते फिर भी बार-बार वहीं विचार मन में आता अंत में उनसे रहा नहीं गया और उन्होंने रानी को पत्र लिख दिया पत्र मे उन्होंने लिखा कि प्रिये मुझे याद रखना भूल मत जाना मैं युद्ध समाप्त कर जल्द लौटुंगा हो सके तो अपनी कोई निशानी
भिजवा देना जिसे देखकर मैं अपने मन को समझा लुंगा
यह लिखकर एक संदेश वाहक के साथ पत्र भिजवा दिया

पत्र रानी को मिला जिसे देखकर रानी व्यतित हो गई उन्हें लगा की इसी तरह राजा अगर उनके मोह मे उलझे रहे तो युद्ध कैसे लड़ेंगे यह सोचते सोचते उन्हें एक विचार आया उन्होंने संदेशवाहक को  एक खत दिया और कहा, "मैं अपनी अंतिम निशानी तुम्हें देती हूं। इसे थाली में सजाकर सुंदर वस्त्रों से ढककर मेरे पति को दे देना, किन्तु उनके सिवा कोई और इसे न देखे इस बात का विशेष ध्यान रखना।" 

हाड़ी रानी ने पत्र में क्या लिखा था

हाड़ी रानी के पत्र में लिखा कि , "स्वामी, मैं आपको अपनी अंतिम निशानी भेज रही हूं। आपको अपने मोह के बंधनों से मुक्त कर रही हूं। अब आप निश्चिंत होकर युद्ध लड़े। मैं स्वर्ग में आपका इंतजार करुंगी।" ऐसा लिखकर पत्र संदेशवाहक को दिया और अपनी कमर से तलवार निकालकर हाड़ी रानी ने अपना सिर धड़ से अलग कर दिया। 

यह सब देखकर संदेश वाहक की आंखों से आंसू बहने लगे। सोने की थाली में हाड़ी रानी के कटे हुए सिर को रखा और उसे सुहाग के चूनर से ढका और भारी मन से आंख में आंसू लिये संदेशवाहक युद्ध भूमि की ओर दौड़ पड़ा। उसको देखकर राव रतन सिंह चुंडावत ने पूछा, " तुम रानी की निशानी लेकर आ गए?" संदेशवाहक ने अपने कांपते हुए हाथों से रानी के कटे हुए सिर वाली थाली राव रतन सिंह चुंडावत की ओर बढ़ा दी। 

राव रतन सिंह चुंडावत फटी आंखों से हाड़ी रानी के सिर को देखते ही रह गये। उनके मोह की वजह से  उनकी सबसे प्यारी चीज़ उनसे दूर हो गई इस सब के बाद उनके पास जीने को कोई वजह नहीं रह गई थीं। उन्होंने मन ही मन मे कहा कि , "प्रिये, मैं भी तुमसे मिलने आ रहा हूं।" इस सब के बाद राव रतन सिंह चुंडावत के मोह के सारे बंधन टूट चुके थे। 

और उन्होंने इतनी  अच्छा शौर्य प्रदर्शन किया जिसका कोई जवाब नहीं वो अपनी आखिरी सांस तक लंड़ते रहे।औरंगजेब की सहायक सेना को उन्होंने आगे  ही नहीं बढऩे दिया अंत मे मुगल बादशाह मैदान छोड़कर भाग गया। इस जीत का श्रेय उनके शौर्य के साथ-साथ हाड़ी रानी के बलिदान को भी जाता है जो इतिहास मे अब तक का सबसे बड़ा और अविस्मरणीय बलिदान है।


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FAQ ?


1. हाड़ी रानी का दूसरा नाम क्या था ?
    हाड़ी रानी का दूसरा नाम सलेह कंवर था

2. हाड़ी रानी का जन्म कब हुआ था ?
    हाडी रानी का जन्म बसंत पंचमी के दिन हुआ था

3. हाड़ी रानी के पति का नाम क्या था ?
   हाड़ी रानी के पति का नाम राव रतन सिंह चूड़ावत  था

4. हाड़ी रानी की बावड़ी कहां स्थित है ?
    हाड़ी रानी की बावड़ी टोंक जिले में स्थित है

5. हाड़ी रानी कौन थी ?
    हाड़ी रानी बूंदी के हाड़ा शासक की बेटी और सरदार राव        रतन सिंह चूड़ावत की पत्नी थी
6. हाड़ी रानी की मृत्यु का कारण क्या था ?
    राव रतन सिंह चुण्डावत का मोह



निष्कर्ष :-  

दोस्तों आपको हमारा यह आर्टिकल कैसा लगा आशा करता हूं कि इस आर्टिकल को पढ़कर आपको हाड़ी रानी के बारे में संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी हम ऐसे ही आर्टिकल लाते रहते हैं तो हमारी इस वेबसाइट से जुड़े रहें धन्यवाद





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